आपने कानपुर के मशहूर खबर के बारे में तो सुना ही होगा जिसमें कानपुर के एक व्यापारी पीयूष जैन के घर से लगभग 200 करोड रुपए कैसे मिला था यह तस्वीरें आपने अब तक देख ली होंगी और इन तस्वीरों के बारे में पूरे देश में चर्चा हो रही है लेकिन अभी तक आपने यही सुना होगा कि वही पिजन है जिसने समाजवादी पार्टी के नाम पर एक समाजवादी पर बनाया था जिसे खुद अखिलेश यादव ने लांच किया था अभी तक देश के लोग यही समझ रहे थे कि यह वही पिजन है जो समाजवादी पार्टी का करीबी है और उसी के घर से 200 करोड़ रुपए मिले लेकिन यह कहानी और भी दिलचस्प हो गई जब हमें यह पता चला कि समाजवादी इत्र बनाने वाले व्यापारी नहीं बल्कि पुष्पराज उर्फ अब संयोग देखिए कि पुष्पराज भी कन्नौज में ही रहते हैं कन्नौज में भी उसी रोड पर रहते हैं जहां पर पीयूष जैन का घर है और दोनों के घरों के बीच जो दूरी है वह सिर्फ 500 मीटर की दूरी है तो दोनों के नाम पिजन है दोनों कन्नौज में रहते हैं दोनों एक ही सड़क पर रहते हैं और दोनों के घर एक दूसरे से सिर्फ 500 मीटर की दूरी पर है तो सोचिए कितनी सारी समानता है तो बड़ा सवाल यह है कि क्या यह मिस्टेकन आईडेंटिटी का केस है आज हम आपको असली जाएंगे जिसके बाद यह कहानी एक नया मोड़ ले लेगी क्यों कह रहे थे कि जिनके घर से दूर थे कि यह तो व्यापारी है ही नहीं तो फिर इनके यहां से इतना पैसा कहां से आते है
इस कहानी की शुरुआत होती है 23 दिसंबर को कानपुर के घर से जहां पर इनकम टैक्स और जीएसटी इंटेलिजेंस की टीम को छापेमारी में 177 करोड रुपए कैसे मिला जब इस मामले की जांच हुई तो पता चला कि एक घर कन्नौज के इत्र कारोबारी पीयूष जैन का है और यहीं से फिर यह भी खबर आई कि यह वही पिजन है जिसमें इसी साल समाजवादी पार्टी के लिए समाजवादी इतर बनाया था जिसे खुद अखिलेश यादव ने 9 नवंबर को लॉन्च भी किया था और यह पूरी खबर तब और ज्यादा चर्चा में आ गई जब यह पता चला कि समाजवादी चित्र बनाने वाले व्यक्ति के पहले नाम का पहला अक्षर भी है और सरनेम भी जैन है वह कन्नौज में ही रहते हैं और कन्नौज में भी उसी सड़क पर रहते हैं जिस सड़क का पता सरकारी जांच एजेंसियों ने आरोपी के घर के लिए अपने आधिकारिक बयान में लिखा है उसका नाम पी जैन हैइस व्यक्ति के घर से लगभग 200 करोड रुपए कैसे मिला उसका नाम भी पिजन है उसका नाम पिजन तो है लेकिन वह असली पीछे नहीं है यानी वह समाजवादी पार्टी वाला पिज्जा नहीं है अब असली पिजन है पुष्पराज जैन यानी पंपिंग पंपिंग समाजवादी पार्टी के लिए बनाया था लेकिन जिस पी जैन के घर पर यह इनकम टैक्स का छापा पड़ा वह पंप जैन नहीं बल्कि पीयूष जैन है और उसका समाजवादी पार्टी के इत्र से कोई लेना देना नहीं है एक जैसे दो नामों को लेकर यह कंफ्यूजन इसलिए हुआ क्योंकि पीयूष जैन का घर भी कन्नौज में उसी रोड पर है जहां पर पंपी जैन का घर है नाम भी एक जैसा है घरों की लोकेशन है वह भी लगभग एक साथ ही है और शहर भी सेम है दोनों के घर के बीच 500 मीटर की दूरी है इससे ऐसा लगता है कि यह पूरा मामला शायद मिस्टेकन आईडेंटिटी का है
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