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जेल के कैदी का जीवन कैसा होता है | jail ke andar ki jindagi kaise hoti hai | how is life inside the prison

जेल के अंदर की जिंदगी कैसे होती है


जेल क्या है और कैसे चलती है 


जेल राज्य सरकार के अधीन काम करता है और जो जेल की पुलिस होती है वह नार्मल पुलिस से अलग होती है इसका प्रशासन जेल के अन्दर होता है इसमे बहुत कम पुलिस वाले होते है जो ज्यादा आपको बाहर ही मिलेंगे अन्दर बहुत काम मिलते है और जो अन्दर का काम होता है वह कैदी ही करते है कैदी जब शुरू में जाते है तो उन्हें नंबर नहीं दिया जाता है जब उन्हें सजा मिल जाती है तब उन्हें नम्बर दे दिया जाता है अगर वह 10-15 दिन के लिए है तो उसे नम्बर नहीं दिया जाता है और आपको कपड़ा भी नहीं देता है और अगर आपका ट्रायल बहुत ज्यादा दिन तक चलेगा तब आपको नम्बर देकर कपड़ा और सब कुछ दे दिया जाता है और उसे अलग अलग बरेक में रखा जाता है मतलब सारे लोगो को अलग अलग रखा जाता है जो लोग खून किये है उनको अलग जो लोग चोरी की उनको एक बरेक में, सभी लोगो को उनके जुर्म के आधार पर जेल में रखा जाता है 

जेल में कितना खाना और कब कब मिलता है 


जेल में कैदीयो के लिए खाना अलग अलग राज्यों में अलग अलग खर्च किए जाते है अगर आप भारत के कुल राज्यों को लेकर एक औसत खर्च एक दिन का एक कैदी के ऊपर 52 रूपये का खर्च आता है यह जेल मेनू के हिस्साब से जेल में सुबह 7:00 बजे जब नाश्ता दिया जाता है जिसमे एक चाय का होना जरुरी है और उसके साथ चना, ब्रेड,बिस्किट या दलिया दे सकते है यह सब कुछ जेल के अन्दर ही बनता है और यह काफी अच्छा होता है दोपहर का लंच 11:00-12:00 बजे तक आता है लंच में 4 रोटी, थोडा सा चावल , दाल, सब्जी और सब्जी कोई भी मौसामी सब्जी हो सकती है आपको एक दम हल्का खाना दिया जाता है रात का खाना भी दिन के खाने की तरह समान रहता है लेकिन रात के वक्त चावल आपको नहीं दिया जाता है रोटी 6, दाल, सब्जी , सब्जी एक नोर्मल सब्जी होती है जिसे खाकर आप बीमार न पड़े रात का खाना शाम 5:00 तैयार हो जाता है आप चाहे तो उसी टाइम खा सकते है या रात के 9:00 तक खा सकते है इस खाने को जान बुझकर इतना हल्का रखा जाता है तेल, नमक, मशाला बहुत काम दिया जाता है ताकि आप बीमार न पड़े 

जेल में एक्स्ट्रा खाना और सामान कहा से और कैसे खरीदते है 

जेल के अन्दर जो हॉस्पिटल होता है वह नार्मल होता है उसमे छोटे इलाज हो सकता है जेल के अन्दर कई बार कैदियों को खाना सूट कर जाता है आते है दुबले पतले और मोटे हो जाते है जेल के अन्दर अपना कैंटीन होता है जिससे आप अपनी जरूरत के अनुसार अपनी चीजो को खरीद सकते है जैसे मान लीजिए की किसी को एक्स्ट्रा खाना खाना है तो वह एक्स्ट्रा खाना ले सकता है उसको लिखवाना पड़ेगा जेलर साहब से की हमको 12 रोटी दीजिए हमारा इतने में पेट नहीं भर रहा है यह उसको खाना एक्स्ट्रा दे देगा अगर आप चाहते हो की घर से खाना आये तो यह बार बार नहीं होता है और उसे चेक किया जाता है घर से जो लोग जाते है वह आचार और सलाद दे देते है क्योकि वह पर चटनी और अचार नहीं मिलाता है वह पर लोग बर्तन और चम्मच खरीदना पड़ेगा वह सब पलास्टिक के होते है वह की कैंटीन से आप समान खरीद सकते है आपके पास पैसे रहने चाहिए और आपके घर से जो कुछ आता है तो आ उसे रख सकते है 

जेल पैसे कैसे चलता है 



अगर आप जेल में जाते है तो आप पैसे लेकर जाते है अगर लम्बे दिन तक रह गये तो आपसे जो मिलने आता है वह भी पैसे देता है उस पैसे का मिस यूज़ हो सकता है जो वह पर कैदी है वह आप से छीन लेंगे इसलिए जेल की अपनी नोट होती है वह भारत सरकार वाला नहीं चलता है वह कूपन चलता है यह आपके पैसे को कूपन में बदल दिया जाता है आप ज्यादा से ज्यादा 2,000 रूपये के कूपन रख सकते है वह कूपन आपको 2 रूपये , 5 रूपये , 10 रूपये ,20 रुपये के मिलते है यह आपको मिलेगा और आपके नाम का रहेगा दूसरा कोई आपके कूपन को नहीं चला सकता है 

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